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(1)
एक मच्छर परेशान बैठा था। दूसरे ने पूछा,"क्या हुआ ?"
पहला बोला,
"यार गजब हो रहा है ; चूहेदानी में चूहा;
साबुनदानी में साबुन;
मगर
मच्छरदानी में आदमी सो रहा है।"
(2)
"बहुत छाले हैं
उसके पैरों में...
वो ज़रूर
उसूलों पर चला होगा.."
(3)
*यदि हर कोई आप से खुश है*
*तो ये निश्चित है कि आपने जीवन*
*में बहुत से समझौते किये हैं...*
*और*
*यदि आप सबसे खुश हैं*
*तो ये निश्चित है कि आपने लोगों*
*की बहुत सी ग़लतियों*
*को नज़रअंदाज़ किया है।*
(4)
*सोचने से कहाँ मिलते हैं*
*तमन्नाओं के शहर,*
*चलने की जिद्द भी जरुरी है*
*मंजिलों को पाने के लिए..!*
(5)
*मुस्कुराने के मकसद न ढूँढो, वर्ना जिन्दगी*
*यूँ ही कट जाएगी.,*
*कभी बेवजह भी मुस्कुरा के देखो, आपके साथ साथ*
*जिन्दगी भी मुस्कुरायेगी..!!*
(6)
*वक़्त के भी अजीब किस्से हैं;*
*किसी का कटता नहीं;*
*और;*
*किसी के पास होता नहीं* ।
*वक़्त;*
*दिखाई नहीं देता है;*
*पर;*
*बहुत कुछ दिखा देता है ।*
*अपनापन तो हर कोई दिखाता है;*
*पर अपना कौन है ये वक़्त दिखाता है ।*
(7)
*शहर बसाकर, अब सुकून के लिए गाँव ढूँढते हैं,,*
*बड़े अजीब हैं लोग हाथ मे कुल्हाड़ी लिए, छाँव ढूँढते हैं..!!*
(8)
*गलतफहमियों के सिलसिले इतने दिलचस्प हैं,*
*हर ईंट सोचती है, दीवार मुझ पर टिकी है ।*
(9)
प्रसन्नता का सरल नियम 🙏
*न अपेक्षा,*
*न उपेक्षा !*
(10)
*गुफ्त्गू करते रहिए थोडी थोडी अपने चाहने वालो से...*
*जाले लग जाते हे अक्सर बंद मकानो के..*
(1)
एक मच्छर परेशान बैठा था। दूसरे ने पूछा,"क्या हुआ ?"
पहला बोला,
"यार गजब हो रहा है ; चूहेदानी में चूहा;
साबुनदानी में साबुन;
मगर
मच्छरदानी में आदमी सो रहा है।"
(2)
"बहुत छाले हैं
उसके पैरों में...
वो ज़रूर
उसूलों पर चला होगा.."
(3)
*यदि हर कोई आप से खुश है*
*तो ये निश्चित है कि आपने जीवन*
*में बहुत से समझौते किये हैं...*
*और*
*यदि आप सबसे खुश हैं*
*तो ये निश्चित है कि आपने लोगों*
*की बहुत सी ग़लतियों*
*को नज़रअंदाज़ किया है।*
(4)
*सोचने से कहाँ मिलते हैं*
*तमन्नाओं के शहर,*
*चलने की जिद्द भी जरुरी है*
*मंजिलों को पाने के लिए..!*
(5)
*मुस्कुराने के मकसद न ढूँढो, वर्ना जिन्दगी*
*यूँ ही कट जाएगी.,*
*कभी बेवजह भी मुस्कुरा के देखो, आपके साथ साथ*
*जिन्दगी भी मुस्कुरायेगी..!!*
(6)
*वक़्त के भी अजीब किस्से हैं;*
*किसी का कटता नहीं;*
*और;*
*किसी के पास होता नहीं* ।
*वक़्त;*
*दिखाई नहीं देता है;*
*पर;*
*बहुत कुछ दिखा देता है ।*
*अपनापन तो हर कोई दिखाता है;*
*पर अपना कौन है ये वक़्त दिखाता है ।*
(7)
*शहर बसाकर, अब सुकून के लिए गाँव ढूँढते हैं,,*
*बड़े अजीब हैं लोग हाथ मे कुल्हाड़ी लिए, छाँव ढूँढते हैं..!!*
(8)
*गलतफहमियों के सिलसिले इतने दिलचस्प हैं,*
*हर ईंट सोचती है, दीवार मुझ पर टिकी है ।*
(9)
प्रसन्नता का सरल नियम 🙏
*न अपेक्षा,*
*न उपेक्षा !*
(10)
*गुफ्त्गू करते रहिए थोडी थोडी अपने चाहने वालो से...*
*जाले लग जाते हे अक्सर बंद मकानो के..*
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