Friday, 21 September 2018

Hindi

Hindi,
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हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है
और कोई भी अक्षर वैसा क्यूँ है
उसके पीछे कुछ कारण है, अंग्रेजी
भाषा में यह बात देखने में नहीं आती ।
______________________
क, ख, ग, घ, ङ- कंठव्य कहे गए,
क्योंकि इनके उच्चारण के समय
ध्वनि कंठ से निकलती है ।
एक बार बोल कर देखिये ।

च, छ, ज, झ,ञ- तालव्य कहे गए,
क्योंकि इनके उच्चारण के समय
जीभ तालू से लगती है ।
एक बार बोल कर देखिये ।

ट, ठ, ड, ढ , ण- मूर्धन्य कहे गए,
क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के
मूर्धा से लगने पर ही सम्भव है ।
एक बार बोल कर देखिये ।
😀

त, थ, द, ध, न- दंतीय कहे गए,
क्योंकि इनके उच्चारण के
समय जीभ दांतों से लगती है ।
एक बार बोल कर देखिये ।

प, फ, ब, भ, म,- ओष्ठ्य कहे गए,
क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के
मिलने पर ही होता है ।
एक बार बोल कर देखिये ।
😀
________________________

हम अपनी भाषा पर गर्व करते हैं
यह सही है परन्तु लोगो को
इसका कारण भी बताईये ।
इतनी वैज्ञानिकता दुनिया की
किसी भाषा मे नही है ।।
जय हिन्द ।।

क,ख,ग क्या कहता है जरा गौर करें...
••••••••••••••••••••••••••••••••••••
क - क्लेश मत करो
ख- खराब मत करो
ग- गर्व ना करो
घ- घमण्ड मत करो
च- चिँता मत करो
छ- छल-कपट मत करो
ज- जवाबदारी निभाओ
झ- झूठ मत बोलो
ट- टिप्पणी मत करो
ठ- ठगो मत
ड- डरपोक मत बनो
ढ- ढोंग ना करो
त- तैश मे मत रहो
थ- थको मत
द- दिलदार बनो
ध- धोखा मत करो
न- नम्र बनो
प- पाप मत करो
फ- फालतू काम मत करो
ब- बिगाङ मत करो
भ- भावुक बनो
म- मधुर बनो
य- यशस्वी बनो
र- रोओ मत
ल- लोभ मत करो
व- वैर मत करो
श- शत्रुता मत करो
ष- षटकोण की तरह स्थिर रहो
स- सच बोलो
ह- हँसमुख रहो
क्ष- क्षमा करो
त्र- त्रास मत करो
ज्ञ- ज्ञानी बनो !!

कृपया औरो को भी इस बारे में
बताईये ।।

Saturday, 15 September 2018

Toll Free Numbers

प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक  नमबरो की  जानकारी  यह सब टोल  फ्री है ।
_________________________

पुलिस सेवा  ---       ---    100

अग्नि  सेवा                      101

एमबुलैस  सेवा                 102

यातायात  पुलिस               103

आपदा  प्रबंधन                 108

रेलवे  पूछताछ                 139

भ्रष्टाचार  विरोधी             1031

रेल  दुर्घटना                    1072

सड़क  दुर्घटना                1073

सी एम सहायता  लाइन    1076

क्राइम  सटायर                1090

महिला  सहायता  लाइन   1091

पृथ्वी  भुकमप                1092

बाल शोषण  सहायता      1098

किसान  काल  सेन्टर        1551

नागरिक  काल  सेन्टर  155300

कृपया  सभी  गुरुप मे  भेजे

धन्यवाद

Friday, 31 August 2018

Yoga Questions and Answers

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*योग विषय में व्याप्त भ्रान्तियां और उनका समाधान-*

*१.प्रश्न - मैं तो स्वस्थ हूँ, मुझे #योग की क्या आवश्यकता ?*

उत्तर - योग कोई इलाज नही कि इसे बीमार व्यक्ति ही अपनाये। योग तो खुशमयी जीवन जीने की कला है।और ईश्वर कृपा से यदि आज हम स्वस्थ है तो भविष्य में भी स्वस्थ्य बने रहने हेतु योग अपनाना आवश्यक है, क्योंकि उम्र के साथ बीमारियाँ अक्सर आती ही है।

*२.प्रश्न - युवाओं की भ्रान्ति कि योग बहुत धीमी गति से होता है इसलिए बोरियत भरा है?*

उत्तर - वर्तमान युग की समस्या ही तो गति है। हर मनुष्य भागा जा रहा है भौतिकतावाद की और, विलासिता की और, चकाचौंन्ध की और। और बदले में पा रहा है अनेको बीमारियाँ।
योग तो आनन्द की और ले जाने वाली राह है। सही तरीके से सिखाये गए योग से कभी बोरियत नही हो सकती है।

*३.प्रश्न - बुजुर्गों की भ्रान्ति की हम तो वृद्ध हो गए है इसलिए नही कर सकते है?*

उत्तर - योग की यही तो विशेषता है कि योग बच्चे,बूढ़े, स्त्री, पुरुष, युवा, स्वस्थ्य, बीमार हर व्यक्ति कर सकता है। योग टीचर का कार्य है कि व्यक्तिगत आवश्यकतानुसार कराएं।

*४.प्रश्न - सबसे बड़ा प्रश्न की क्या योग से वजन कम होगा?*

उत्तर - योग से निश्चिन्त तौर पर एवं स्थायी तौर पर वजन कम होता है। अधिक वजन एवं मोटापे के कारणों को जानकर विशेष रूप से कराये गए आसनों, प्राणायाम से स्थायी तौर पर वजन कम होकर मोटापा दूर होकर शक्ति, स्फूर्ति में असीम वृद्धि होती है। योग मनुष्य के शारीरिक  फिगर को बैलेंस में लाता है, इससे मोटा व्यक्ति दुबला और दुबला व्यक्ति मोटा होता है।

*५.प्रश्न - मैं तो पहले से स्लिम हूँ, मुझे योग की क्या आवश्यकता ?*

उत्तर - स्लिम होना भर स्वस्थ्य होने की ग्यारंटी नही है। और न ही योग सिर्फ कोई दुबले या स्लिम होने की दवा है। योग तो स्वस्थ और खुशहाल रहने की जीवनशैली है। और स्लिम व्यक्तियों में भी अनेको बीमारियाँ हो सकती है।

*६.प्रश्न - दिनभर में मैं इतना कार्य कर लेता/ लेती हूं है कि मुझे योग की कोई आवश्यकता ही नही?*

उत्तर - हमारे रूटीन वर्क का प्रभाव हमारे शरीर के सभी बाह्य और आंतरिक अंगों पर आ ही नही सकता। योग में चार अवस्थाओं में किये जाने वाले विभिन्न आसनो का शरीर के सारे बाह्य और आंतरिक अंगों पर बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ता है उनकी मसाज होती है, रक्त संचार प्रॉपर होता है जो मनुष्य के अच्छे स्वास्थ्य के लिए अतिआवश्यक है।

*७.प्रश्न - आज मुझे बहुत थकान हो रही है अतः आज मुझे योगाभ्यास नही करना है?*

उत्तर - थकान होने पर या ज्यादा हार्डवर्क करने पर आई हुई थकान तो योगासन, प्राणायाम और ध्यान से पूरी तरह दूर हो जाती है। सारे अंगों, जोड़ों, मसल्स, लिगामेंट्स नस नाड़ियों पर आसनो से आयी हुई स्ट्रेचिंग, तनाव, दबाव से रिलैक्स होकर व्यक्ति तरोताज़ा हो जाता है। अतः थकान के दौरान अवश्य योग साधना करना चाहिए।

*८.प्रश्न - बीमारी के दौरान योग नही करना है?*

उत्तर - केवल जीर्ण यानि क्रोनिक रोगों को छोड़कर बीमारी के दौरान #योग प्रैक्टिस करने से बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। एक कुशल योग टीचर बीमारी के अनुसार ही योग प्रैक्टिस करायेगा।

*९.प्रश्न - एलोपैथी इलाज ही स्वस्थ्य होने की ग्यारंटी है?*

उत्तर - एडवांस स्टेज का कैंसर, क्रोनिक रोग, बाहरी रोग का आक्रमण, लिवर का पूरी तरह खराब हो जाना आदि कुछेक बीमारियों  को छोड़कर समस्त बीमारियों को स्थायी तौर पर योग के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।
डाईबिटिज, हाईपेरटेंशन जैसी बीमारियों को नियमित योग एवं जीवनशैली से जड़ से समाप्त किया जा सकता है।

*१०.प्रश्न - गर्भधारण हो जाने पर योग बन्द कर देना चाहिए?*

उत्तर - गर्भावस्था के दौरान तो योग अत्यंत सहायक* होता है। कुशल योग एक्सपर्ट के मार्गदर्शन में विशेष आसनों, प्राणायाम और ध्यान में द्वारा पुरे गर्भावस्था के दौरान महिला पूरी तरह शारीरिक और मानसिक स्तर पर स्वयं तो स्वस्थ्य रह ही सकती है साथ ही आने वाली सन्तान भी स्वस्थ होगी और नॉर्मल डिलेवरी के भी पुरे चान्सेस हो जाते है।

*११.प्रश्न - योग नही अपनाने का दुनिया भर का सबसे बड़ा कारण, मेरे पास समय ही नही है?*

उत्तर - *"पहला सुख, निरोगी काया"* जीवन के सारे सुख स्वस्थ्य रहने पर ही भोगे जा सकते है। यदि प्रतिदिन एक घण्टे योगाभ्यास कर लिया जाये तो बचे २३ घण्टों में ३६ घण्टों की ऊर्जा पायी जा सकती है। कितनी भी व्यस्तता हो, दुनिया मे कही भी हो योग अवश्य करें। एक घण्टा न तो कुछ देर ही करें।

*१२.प्रश्न - हम तो बाहर जा रहे है/ शादी में जा रहे है/ त्यौहार मना रहे है/ बच्चों की एग्जाम है/ घर में कुछ कार्य है?*

उत्तर - हमारी किसी भी तरह की व्यस्तता का सबसे पहला दुष्प्रभाव हमारे योग पर पड़ता है। हम सारे कार्य तो करेंगे पर योग सबसे पहले छोड़ेंगे।आप दुनिया में कही भी हो, कुछ भी कार्य हो कुछ समय "योग" के लिए अवश्य निकाले। आप शक्ति, स्फूर्ति और दुगुनी ऊर्जा से कार्य कर पाएंगे।

*१३.प्रश्न - योग हिन्दू धर्म का है इसलिए हमारे लिये नही है?*

उत्तर - हिन्दू धर्म कभी नही कहता की योग का अनुसरण सिर्फ हिंदू ही करेंगे। योग तो सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन है। क्या सूर्य अपनी किरणे किसी धर्म विशेष के लोगों को ही प्रदान करता है? नही
इसी तरह योग प्रैक्टिस करने वाले को इसके पूर्ण स्वास्थ्य लाभ मिलेंगे।

*१४.प्रश्न - अभी तो मैं युवा हूँ मुझे योग की क्या आवश्यकता ?*

उत्तर - वर्तमान युग में भौतिकतावाद के पीछे भागने वालों में बड़ी संख्या युवाओं की ही है। दुष्परिणामस्वरूप युवा तनावग्रस्त होकर कम उम्र में ही अनेकोनेक शारीरिक और मानसिक बिमारियों से ग्रस्त हो रहे है जिसका सबसे उत्तम *निदान योग* में ही है।

*१५.प्रश्न - योग ही क्यों?*

उत्तर - स्वस्थ्य रहने हेतु अनेकों विधाएं है जैसे वाकिंग, जॉगिंग, रनिंग, साइकिलिंग, स्विमिंग, जिम्नेश्यिम, जुम्बा, एरोबिक्स आदि। इन सबमे योग का सर्वोच्च स्थान इसलिए है क्योंकि सिर्फ योग ही ऐसी विधा है जो शरीर, मन और आत्मा को एक ही ईकाई मानता है और शरीर से ज्यादा मन पर सकारात्मक प्रभाव देता है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार भी मनुष्य को होने वाली  ९०% बीमारियाँ मनोकायिक है और योग ही एक ऐसी विधा है जो मन के विकारों को दूर करके उसे तनावमुक्त रख स्वस्थ्य बनाता है।

*१६.प्रश्न - शरीर के कुछ विभिन्न पोज़ बना लेना या शरीर को अलग अलग तरीके से तोड़ मरोड़कर आसन कर लेना ही योग है।*

उत्तर - जी नही, योग सिर्फ आसन ही नही वरन सम्पूर्ण लाइफ स्टाइल है। आसन तो योग का एक अंग है। योग सिर्फ एक घण्टे करने की विषय वस्तु न होकर हर पल योगी बने रह सकने की कला है। अपने मन, चित्त, विचारों, श्वसन आदि को नियंत्रण में रख सदा वर्तमान में जीना सिखाता है, योग।

Wednesday, 16 May 2018

Don't Eat Together

Don't Eat Together
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 *एक साथ नहीं खानी चाहिए:*

⚫-चाय के साथ कोई भी नमकीन चीज नहीं खानी चाहिए।दूध और नमक का संयोग सफ़ेद दाग या किसी भी स्किन डीजीज को जन्म दे सकता है, बाल असमय सफ़ेद होना या बाल झड़ना भी स्किन डीजीज ही है।

⚫-सर्व प्रथम यह जान लीजिये कि कोई भी आयुर्वेदिक दवा खाली पेट खाई जाती है और दवा खाने से आधे घंटे के अंदर कुछ खाना अति आवश्यक होता है, नहीं तो दवा की गरमी आपको बेचैन कर देगी।

⚫-दूध या दूध की बनी किसी भी चीज के साथ दही ,नमक, इमली, खरबूजा,बेल, नारियल, मूली, तोरई,तिल ,तेल, कुल्थी, सत्तू, खटाई, नहीं खानी चाहिए।

⚫-दही के साथ खरबूजा, पनीर, दूध और खीर नहीं खानी चाहिए।

⚫-गर्म जल के साथ शहद कभी नही लेना चाहिए।

⚫-ठंडे जल के साथ घी, तेल, खरबूज, अमरूद, ककड़ी, खीरा, जामुन ,मूंगफली कभी नहीं।

⚫-शहद के साथ मूली , अंगूर, गरम खाद्य या गर्म जल कभी नहीं।

⚫-खीर के साथ सत्तू, शराब, खटाई, खिचड़ी , कटहल कभी नहीं।

⚫-घी के साथ बराबर मात्र1 में शहद भूल कर भी नहीं खाना चाहिए ये तुरंत जहर का काम करेगा।

⚫-तरबूज के साथ पुदीना या ठंडा पानी कभी नहीं।

⚫-चावल के साथ सिरका कभी नहीं।

⚫-चाय के साथ ककड़ी खीरा भी कभी मत खाएं।

⚫-खरबूज के साथ दूध, दही, लहसून और मूली कभी नहीं।

*कुछ चीजों को एक साथ खाना अमृत का काम करता है जैसे:*

⚫-खरबूजे के साथ चीनी

⚫-इमली के साथ गुड

⚫-गाजर और मेथी का साग

⚫-बथुआ और दही का रायता

⚫-मकई के साथ मट्ठा

⚫-अमरुद के साथ सौंफ

⚫-तरबूज के साथ गुड

⚫-मूली और मूली के पत्ते

⚫-अनाज या दाल के साथ दूध या दही

⚫-आम के साथ गाय का दूध

⚫-चावल के साथ दही

⚫-खजूर के साथ दूध

⚫-चावल के साथ नारियल की गिरी

⚫-केले के साथ इलायची

*कभी कभी कुछ चीजें बहुत पसंद होने के कारण हम ज्यादा बहुत ज्यादा खा लेते हैं। ऎसी चीजो के बारे में बताते हैं जो अगर आपने ज्यादा खा ली हैं तो कैसे पचाई जाएँ ----*

⚫-केले की अधिकता में दो छोटी इलायची

⚫-आम पचाने के लिए आधा चम्म्च सोंठ का चूर्ण और गुड

⚫-जामुन ज्यादा खा लिया तो ३-४ चुटकी नमक

⚫-सेब ज्यादा हो जाए तो दालचीनी का चूर्ण एक ग्राम

⚫-खरबूज के लिए आधा कप चीनी का शरबत

⚫-तरबूज के लिए सिर्फ एक लौंग

⚫-अमरूद के लिए सौंफ

⚫-नींबू के लिए नमक

⚫-बेर के लिए सिरका

⚫-गन्ना ज्यादा चूस लिया हो तो ३-४ बेर खा लीजिये

⚫-चावल ज्यादा खा लिया है तो आधा चम्म्च अजवाइन पानी से निगल लीजिये

⚫-बैगन के लिए सरसो का तेल एक चम्म्च

⚫-मूली ज्यादा खा ली हो तो एक चम्म्च काला तिल चबा लीजिये

⚫-बेसन ज्यादा खाया हो तो मूली के पत्ते चबाएं

⚫-खाना ज्यादा खा लिया है तो थोड़ी दही खाइये

⚫-मटर ज्यादा खाई हो तो अदरक चबाएं

⚫-इमली या उड़द की दाल या मूंगफली या शकरकंद या जिमीकंद ज्यादा खा लीजिये तो फिर गुड खाइये

⚫-मुंग या चने की दाल ज्यादा खाये हों तो एक चम्म्च सिरका पी लीजिये

⚫-मकई ज्यादा खा गये हो तो मट्ठा पीजिये

⚫-घी या खीर ज्यादा खा गये हों तो काली मिर्च चबाएं

⚫-खुरमानी ज्यादा हो जाए तो ठंडा पानी पीयें

⚫-पूरी कचौड़ी ज्यादा हो जाए तो गर्म पानी पीजिये

*अगर सम्भव हो तो भोजन के साथ दो नींबू का रस आपको जरूर ले लेना चाहिए या पानी में मिला कर पीजिये या भोजन में निचोड़ लीजिये ,८०% बीमारियों से बचे रहेंगे।*
 😊🙏🏻*

Tuesday, 15 May 2018

Important Inventions

https://www.youtube.com/channel/UCTotKwkAW2Dty1nqXy

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Important Inventions

.           *प्रमुख आविष्कार*
      आविष्कार ➖ आविष्कारक
01. टेलिविजन ➖ जे.एल.वेयर्ड
02. रेडियो ➖ जीव.मरकोनी
03. टेलिफोन ➖ ग्राह्ममबेल
04. कैलकुलेटर ➖ बी.पास्कल
05. कम्प्यूटर ➖ चाल्स बेबेज
06. साइकिल ➖ मैकमिलन
07. फाउन्टेन पेन ➖ वाटर मैन
08. मोटर कार ➖ हैनरी फॉर्ड
09. हवाई जहाज ➖ राईट ब्रदर्स
10. विद्युत वल्व ➖ थामस एडिसन
11. विद्युत पंखा ➖ व्हीलर
12. टेलीस्कोप ➖ गैलीलियो
13. थर्मामीटर ➖ फारेनहाइट
14. सिलाई मशीन ➖ एलियास होेवे
15. रेलवे इंजन ➖ सटीफेसन
16. बैटरी ➖ एलिजाएन्ड्रो वोल्टा
17. प्रेस ➖ हैनरी सीले
18. ग्लोब ➖ मार्टिन बिहेम
19. कैमरा ➖ जिंस
20. जिप(चैन) ➖ व्हाईटकोब जडशन

Monday, 14 May 2018

organs are afraid of

*Plz remember what these*
*few organs are afraid of ?*
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*Kidney:*
Afraid to stay up all night.
*Stomach:*
Afraid of the cold food.
*Lungs:*
Afraid of smoke.
*Liver:*
Afraid of fatty stuff.
*Heart:*
Afraid of salty food.
*Pancreas:*
Afraid of big eating.
*Intestines:* .. Afraid of
eating non-veg  indiscriminately.
*Eyes:* .. Afraid of
mobiles & computers screens.
*Gallbladder:*
Afraid of not eating breakfast.

So pls take real good care of yourself !
Because spare parts may not fit.
They are very expensive....
& not necessarily available in stock !
🙏

Wednesday, 9 May 2018

Water after meal


Water after meal

हम पानी क्यों ना पीये खाना खाने के बाद.!
क्या कारण है.?
हमने दाल खाई,
हमने सब्जी खाई,
हमने रोटी खाई,
हमने दही खाया,
लस्सी पी, दूध, दही, छाझ, लस्सी, फल आदि.!
ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमने ग्रहण किया
ये सब कुछ हमको उर्जा देता है
और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है.!
पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है
जिसको हम हिंदी मे कहते है "अमाशय"
उसी स्थान का संस्कृत नाम है "जठर"
उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते है
"epigastrium"
ये एक थेली की तरह होता है
और यह जठर
हमारे शरीर मे सबसे
महत्वपूर्ण है
क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी मे आता है।
ये बहुत छोटा सा स्थान हैं
इसमें अधिक से अधिक 350gms खाना आ सकता है.!
हम कुछ भी खाते
सब ये अमाशय मे आ जाता है.!

आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है

उसी को कहते हे "जठराग्न".!
ये जठराग्नि है
वो अमाशय मे प्रदीप्त होने वाली आग है ।
ऐसे ही पेट मे होता है
जेसे ही आपने खाना खाया
की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी..t
यह ऑटोमेटिक है,
जेसे ही अपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह मे डाला
की इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई.!
ये अग्नि तब तक जलती हे जब तक खाना' पचता है |

अब अपने खाते ही
गटागट पानी पी लिया
और खूब ठंडा पानी पी लिया.r

और कई लोग तो बोतल पे बोतल पी जाते है.!

अब जो आग (जठराग्नि) जल रही थी
वो बुझ गयी.!
आग अगर बुझ गयी
.तो खाने की पचने की जो क्रिया है
वो रुक गयी.!
You suffer from IBS,
Never CURABLE

अब हमेशा याद रखें
खाना जाने पर
हमारे पेट में दो ही क्रिया होती है,
एक क्रिया है
जिसको हम कहते हे
"Digestion"
और दूसरी है "fermentation" फर्मेंटेशन का मतलब है
सडना...!
और
डायजेशन का मतलब हे
पचना.!

आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी
तो खाना पचेगा,
खाना पचेगा
तो उससे रस बनेगा.!
जो रस बनेगा
तो उसी रस से
मांस, मज्जा, रक्त, वीर्य, हड्डिया, मल, मूत्र और अस्थि बनेगा
और सबसे अंत मे मेद बनेगा.!

ये तभी होगा
जब खाना पचेगा.!

यह सब हमें चाहिए.
ये तो हुई खाना पचने की बात.
अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा..?

खाने के सड़ने पर
सबसे पहला जहर जो बनता है
वो हे यूरिक एसिड (uric acid)

कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते है
की मुझे घुटने मे दर्द हो रहा है,
मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है

तो डॉक्टर कहेगा आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है
आप ये दवा खाओ,
वो दवा खाओ यूरिक एसिड कम करो|
और एक दूसरा उदाहरण खाना

जब खाना सड़ता है,
तो यूरिक एसिड जेसा ही एक दूसरा विष बनता है
जिसको हम कहते हे
LDL (Low Density lipoprotive)
माने खराब कोलेस्ट्रोल (cholesterol)

जब आप
ब्लड प्रेशर(BP) चेक कराने
डॉक्टर के पास जाते हैं
तो वो आपको कहता है (HIGH BP)

हाई-बीपी है
आप पूछोगे...
कारण बताओ.?

तो वो कहेगा
कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है |

आप ज्यादा पूछोगे
की कोलेस्ट्रोल कौनसा बहुत है ?

तो वो आपको कहेगा
LDL बहुत है |

इससे भी ज्यादा
खतरनाक एक  विष हे
वो है.... VLDL
(Very Low Density Lipoprotive)

ये भी कोलेस्ट्रॉल जेसा ही विष है।
अगर VLDL बहुत बढ़ गया
तो आपको भगवान भी नहीं बचा सकता|

खाना सड़ने पर
और जो जहर बनते है
उसमे एक ओर विष है
जिसको अंग्रेजी मे हम कहते है triglycerides.!

जब भी डॉक्टर
आपको कहे
की आपका "triglycerides" बढ़ा हुआ हे
तो समज लीजिए
की आपके शरीर मे
विष निर्माण हो रहा है |

तो कोई यूरिक एसिड के नाम से कहे,
कोई कोलेस्ट्रोल के नाम से कहे,
कोई LDL -VLDL के नाम से कहे
समझ लीजिए
की ये विष हे
और ऐसे विष 103 है |

ये सभी विष
तब बनते है
जब खाना सड़ता है |

मतलब समझ लीजिए
किसी का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है
तो एक ही मिनिट मे ध्यान आना चाहिए
की खाना पच नहीं रहा है ,

कोई कहता हे
मेरा triglycerides बहुत बढ़ा हुआ है
तो एक ही मिनिट मे डायग्नोसिस कर लीजिए आप...!
की आपका खाना पच नहीं रहा है |

कोई कहता है
मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है
तो एक ही मिनिट लगना चाहिए समझने मे
की खाना पच नहीं रहा है |

क्योंकि खाना पचने पर
इनमे से कोई भी जहर नहीं बनता.!

खाना पचने पर
जो बनता है
वो है....
मांस, मज्जा, रक्त, वीर्य, हड्डिया, मल, मूत्र, अस्थि.!

और

खाना नहीं पचने पर बनता है....
यूरिक एसिड,
कोलेस्ट्रोल,
LDL-VLDL.!


और यही
आपके शरीर को
रोगों का घर बनाते है.!

पेट मे बनने वाला यही जहर
जब ज्यादा बढ़कर खून मे आते है !
तो खून दिल की नाड़ियो मे से निकल नहीं पाता
और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा
जो खून मे आया है
इकट्ठा होता रहता है
और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है
जिसे आप
heart attack कहते हैं.!

तो हमें जिंदगी मे ध्यान इस बात पर देना है
की जो हम खा रहे हे
वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिए
और खाना ठीक से पचना चाहिए
इसके लिए पेट मे
ठीक से आग (जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए|

क्योंकि
बिना आग के खाना पचता नहीं हे
और खाना पकता भी नहीं है

महत्व की बात
खाने को खाना नहीं
खाने को पचाना है |

आपने क्या खाया कितना खाया
वो महत्व नहीं हे.!

खाना अच्छे से पचे
इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया.!

"भोजनान्ते विषं वारी"

(मतलब
खाना खाने के तुरंत बाद
पानी पीना
जहर पीने के बराबर है)

इसलिए खाने के
तुरंत बाद पानी
कभी मत पिये..!

अब आपके मन मे सवाल आएगा
कितनी देर तक नहीं पीना.?

तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना !

अब आप कहेंगे
इसका
क्या calculation हैं.?

बात ऐसी है....!

जब हम खाना खाते हैं
तो जठराग्नि द्वारा
सब एक दूसरे मे
मिक्स होता है
और फिर खाना पेस्ट मे बदलता हैं.!

पेस्ट मे बदलने की क्रिया होने तक
1 घंटा 48 मिनट का समय लगता है !

उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है.!

(बुझती तो नहीं लेकिन बहुत धीमी हो जाती है)

पेस्ट बनने के बाद
शरीर मे रस बनने की
परिक्रिया शुरू होती है !

तब हमारे शरीर को
पानी की जरूरत होती हैं।

तब आप जितना इच्छा हो
उतना पानी पिये.!

जो बहुत मेहनती लोग है
(खेत मे हल चलाने वाले,
रिक्शा खीचने वाले,
पत्थर तोड़ने वाले)

उनको 1 घंटे के बाद ही
रस बनने लगता है
उनको  घंटे बाद
पानी पीना चाहिए !

अब आप कहेंगे
खाना खाने के पहले
कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं.?

तो खाना खाने के
45 मिनट पहले तक
आप पानी पी सकते हैं !

अब आप पूछेंगे
ये मिनट का calculation....?

बात ऐसी ही
जब हम पानी पीते हैं
तो वो शरीर के प्रत्येक अंग तक जाता है !

और अगर बच जाये
तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुंचता है.!

तो पानी - पीने से मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है !

तो आप खाना खाने से
45 मिनट पहले ही
पाने पिये.!

इसका जरूर पालण करे..!

अधिक अधिक लोगो को बताएं.!
If you think that
It's educating people
Then you may spread.
It's all upto you.

Pair of linear equation s class 10 imp

  Question 1. Draw the graph of 2x + y = 6 and 2x – y + 2 = 0. Shade the region bounded by these lines and x-axis. Find the area of the shad...